ગુરુવાર, 28 જુલાઈ, 2022

मां नर्मदा की कथा।

मां नर्मदा। 

कहते हैं नर्मदा नें अपने प्रेमी शोणभद्र से धोखा खाने के बाद आजीवन कुंवारी रहने का फैसला किया। लेकिन क्या सचमुच वह गुस्से की आग में चिरकुवांरी बनी रही या फिर प्रेमी शोणभद्र को दंडित करने का यही बेहतर उपाय लगा कि आत्मनिर्वासन की पीड़ा को पीते हुए स्वयं पर ही आघात किया जाए। नर्मदा की प्रेम-कथा लोकगीतों और लोककथाओं में अलग-अलग मिलती है लेकिन हर कथा का अंत कमोबेश वही कि शोणभद्र के नर्मदा की दासी जुहिला के साथ संबंधों के चलते नर्मदा नें अपना मुंह मोड़ लिया और उल्टी दिशा में चल पड़ी। सत्य और कथ्य का मिलन देखिए कि नर्मदा नदी विपरीत दिशा में ही बहती दिखाई देती है।

कथा 1:- नर्मदा और शोण भद्र की शादी होनें वाली थी। विवाह मंडप में बैठने से ठीक एन वक्त पर नर्मदा को पता चला कि शोणभद्र की दिलचस्पी उसकी दासी जुहिला (यह आदिवासी नदी मंडला के पास बहती है) में अधिक है। प्रतिष्ठत कुल की नर्मदा यह अपमान सहन ना कर सकी और मंडप छोड़कर उल्टी दिशा में चली गई। शोण भद्र को अपनी गलती का ऐहसास हुआ तो वह भी नर्मदा के पीछे भागा यह गुहार लगाते हुए' लौट आओ नर्मदा'...।लेकिन नर्मदा को नहीं लौटना था सो वह नहीं लौटी।

अब आप कथा का भौगोलिक सत्य देखिए कि सचमुच नर्मदा भारतीय प्रायद्वीप की दो प्रमुख नदियों गंगा और गोदावरी से विपरीत दिशा में बहती है यानी पूर्व से पश्चिम की ओर। कहते हैं आज भी नर्मदा एक बिंदू विशेष से शोण भद्र से अलग होती दिखाई पड़ती है। कथा की फलश्रुति यह भी है कि नर्मदा को इसीलिए चिरकुंवारी नदी कहा गया है और ग्रहों के किसी विशेष मेल पर स्वयं गंगा नदी भी यहां स्नान करने आती हैं। इस नदी को गंगा से भी पवित्र माना गया है।

मत्स्यपुराण में नर्मदा की महिमा इस तरह वर्णित है, ‘कनखल क्षेत्र में गंगा पवित्र है और कुरुक्षेत्र में सरस्वती। परन्तु गांव हो चाहे वन, नर्मदा सर्वत्र पवित्र है। यमुना का जल एक सप्ताह में, सरस्वती का तीन दिन में, गंगाजल उसी दिन और नर्मदा का जल उसी क्षण पवित्र कर देता है।’ एक अन्य प्राचीन ग्रन्थ में सप्त सरिताओं का गुणगान इस तरह है।

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदा सिन्धु कावेरी जलेSस्मिन सन्निधिं कुरु।।

कथा 2 :-  इस कथा में नर्मदा को रेवा नदी और शोणभद्र को सोनभद्र के नाम से जाना गया है। नद यानी नदी का पुरुष रूप। (ब्रह्मपुत्र भी नदी नहीं 'नद' ही कहा जाता है।) बहरहाल यह कथा बताती है कि राजकुमारी नर्मदा राजा मेखल की पुत्री थी। राजा मेखल नें अपनी अत्यंत रूपसी पुत्री के लिए यह तय किया कि जो राजकुमार गुलबकावली के दुर्लभ पुष्प उनकी पुत्री के लिए लाएगा वे अपनी पुत्री का विवाह उसी के साथ संपन्न करेंगे। राजकुमार सोनभद्र गुलबकावली के फूल ले आए अत: उनसे राजकुमारी नर्मदा का विवाह तय हुआ।

नर्मदा अब तक सोनभद्र के दर्शन ना कर सकी थी लेकिन उसके रूप, यौवन और पराक्रम की कथाएं सुनकर मन ही मन वह भी उसे चाहनें लगी। विवाह होने में कुछ दिन शेष थे लेकिन नर्मदा से रहा ना गया उसनें अपनी दासी जुहिला के हाथों प्रेम संदेश भेजने की सोची। जुहिला को सुझी ठिठोली। उसनें राजकुमारी से उसके वस्त्राभूषण मांगे और चल पड़ी राजकुमार से मिलने। सोनभद्र के पास पहुंची तो राजकुमार सोनभद्र उसे ही नर्मदा समझने की भूल कर बैठा। जुहिला की ‍नियत में भी खोट आ गया। राजकुमार के प्रणय-निवेदन को वह ठुकरा ना सकी। इधर नर्मदा का सब्र का बांध टूटने लगा। दासी जुहिला के आने में देरी हुई तो वह स्वयं चल पड़ी सोनभद्र से मिलनें।

वहां पहुंचने पर सोनभद्र और जुहिला को साथ देखकर वह अपमान की भीषण आग में जल उठीं। तुरंत वहां से उल्टी दिशा में चल पड़ी फिर कभी ना लौटने के लिए। सोनभद्र अपनी गलती पर पछताता रहा लेकिन स्वाभिमान और विद्रोह की प्रतीक बनी नर्मदा पलट कर नहीं आई।

अब इस कथा का भौगोलिक सत्य देखिए कि जैसिंहनगर के ग्राम बरहा के निकट जुहिला (इस नदी को दुषित नदी माना जाता है, पवित्र नदियों में इसे शामिल नहीं किया जाता) का सोनभद्र नद से वाम-पार्श्व में दशरथ घाट पर संगम होता है और कथा में रूठी राजकुमारी नर्मदा कुंवारी और अकेली उल्टी दिशा में बहती दिखाई देती है। रानी और दासी के राजवस्त्र बदलने की कथा इलाहाबाद के पूर्वी भाग में आज भी प्रचलित है।

कथा 3 :- कई हजारों वर्ष पहले की बात है। नर्मदा जी नदी बनकर जन्मीं। सोनभद्र नद बनकर जन्मा। दोनों के घर पास थे। दोनों अमरकंट की पहाड़ियों में घुटनों के बल चलते। चिढ़ते-चिढ़ाते। हंसते-रुठते। दोनों का बचपन खत्म हुआ। दोनों किशोर हुए। लगाव और बढ़ने लगा। गुफाओं, पहाड़‍ियों में ऋषि-मुनि व संतों नें डेरे डाले। चारों और यज्ञ-पूजन होने लगा। पूरे पर्वत में हवन की पवित्र समिधाओं से वातावरण सुगंधित होने लगा। इसी पावन माहौल में दोनों जवान हुए। उन दोनों नें कसमें खाई। जीवन भर एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ने की। एक-दूसरे को धोखा नहीं देने की।

एक दिन अचानक रास्ते में सोनभद्र नें सामने नर्मदा की सखी जुहिला नदी आ धमकी। सोलह श्रृंगार किए हुए, वन का सौन्दर्य लिए वह भी नवयुवती थी। उसनें अपनी अदाओं से सोनभद्र को भी मोह लिया। सोनभद्र अपनी बाल सखी नर्मदा को भूल गया। जुहिला को भी अपनी सखी के प्यार पर डोरे डालते लाज ना आई। नर्मदा नें बहुत कोशिश की सोनभद्र को समझाने की। लेकिन सोनभद्र तो जैसे जुहिला के लिए बावरा हो गया था।

नर्मदा नें किसी ऐसे ही असहनीय क्षण में निर्णय लिया कि ऐसे धोखेबाज के साथ से अच्छा है इसे छोड़कर चल देना। कहते हैं तभी से नर्मदा नें अपनी दिशा बदल ली। सोनभद्र और जुहिला नें नर्मदा को जाते देखा। सोनभद्र को दुख हुआ। बचपन की सखी उसे छोड़कर जा रही थी। उसनें पुकारा- 'न...र...म...दा...रूक जाओ, लौट आओ नर्मदा।

लेकिन नर्मदा जी नें हमेंशा कुंवारी रहने का प्रण कर लिया। युवावस्था में ही सन्यासिनी बन गई। रास्ते में घनघोर पहाड़ियां आईं। हरे-भरे जंगल आए। पर वह रास्ता बनाती चली गईं। कल-कल छल-छल का शोर करती बढ़ती गईं। मंडला के आदिमजनों के इलाके में पहुंचीं। कहते हैं आज भी नर्मदा की परिक्रमा में कहीं-कहीं नर्मदा का करूण विलाप सुनाई पड़ता है।

नर्मदा नें बंगाल सागर की यात्रा छोड़ी और अरब सागर की ओर दौड़ीं। भौगोलिक तथ्य देखिए कि हमारे देश की सभी बड़ी नदियां बंगाल सागर में मिलती हैं लेकिन गुस्से के कारण नर्मदा अरब सागर में समा गई।

नर्मदा की कथा जनमानस में कई रूपों में प्रचलित है लेकिन चिरकुवांरी नर्मदा का सात्विक सौन्दर्य, चारित्रिक तेज और भावनात्मक उफान नर्मदा परिक्रमा के दौरान हर संवेदनशील मन महसूस करता है। कहनें को वह नदी रूप में हैं लेकिन चाहे-अनचाहे भक्त-गण उनका मानवीयकरण कर ही लेते हैं। पौराणिक कथा और यथार्थ के भौगोलिक सत्य का सुंदर सम्मिलन उनकी इस भावना को बल प्रदान करता है और वे कह उठते हैं ।
नमामि देवी नर्मदे।🙏🙏

શનિવાર, 2 જુલાઈ, 2022

मां नर्मदा परिक्रमा मार्ग।

पैदल परिक्रमा पथ के गाँव!

ओंकारेश्वर ६ किमी शिवकोठी, ६ किमी मोरटक्का, (खेड़ीघाट) दो रास्ते १.कटारआश्रम २. पेट्रोल पंप से माफी होते कटार आश्रम, ४ किमी टोंकसर (अन्न क्षेत्र) २ किमी पीतनगर, ४ किमी काँकरिया ६ किमी रावेरखेड़ी (बाजीराव समाधि) ४ किमी बकावाँ अन्न क्षेत्र, ३ किमी मरदाना, २ किमी नौगावाँ, ५ किमी तेली भट्याण (सियाराम बाबा), २ किमी रामकृष्ण हरि सेवा आश्रम अन्न क्षेत्र, ३ किमी ससावट, ३ किमी अमलाथ, ५ किमी लेपा, ६ माँकड़खेड़ा, ६ किमी कठोरा, ४ किमी बड़गाँव, २ किमी शालीवाहन, १ किमी नावड़ाटोड़ी अन्न क्षेत्र, ४ किमी ढालखेड़ा, ५ किमी बलगाँव, ५ खलघाट, १ किमी खलटाँका अन्न क्षेत्र, ५ किमी चिचली अन्न क्षेत्र, ५ किमी भोइन्दा, ३ किमी आभाली, ३ किमी केरवा, ३ किमी दवाणा, ५ लखनगाँव अन्न क्षेत्र, १५ चकेरी, ४ किमी अंजड़, ६ किमी बोरलाय १० किमी बड़वानी (जिला) ९ किमी बावनगजा (जैन तीर्थ) अन्न क्षेत्र, ७ किमी अंदराड़ा अन्न क्षेत्र, ९ किमी पाटी अन्न क्षेत्र, १९ किमी बोखराटा अन्न क्षेत्र, १० किमी अम्बापाड़ा (सदाव्रत), ७किमी बायगोर से पगडंडी रोड़ ४ किमी रानीपुरा, ४ किमी शिरडी, ३ किमी पिपरानी, २ किमी गौमुख (गरमपानी का कुंड) ३ किमी दरा, ४ किमी काकड़दा अन्न क्षेत्र, ६ किमी देवबारापाड़ा, ५ मांडवी, ३ किमी मांडवी बुजुर्ग, १० किमी धडगांव (राजू भाई टेलर व्यवस्था) ११ किमी मोजरा, ५ किमी खुटामोड़ी, ७ किमी काठी (गौतम पाडवी व्यवस्था) ७ किमी मुलगी, ५ किमी बिजरी गव्हाण अन्न क्षेत्र (छगन जी तड़वी,) जंगलमार्ग हेंडपंप के पास से ८ किमी पीपलखूटा, ४ किमी मोकास अन्न क्षेत्र, ८ किमी वड़फली अन्न क्षेत्र, ७ किमी कणजी, १० किमी माथासर अन्न क्षेत्र, १० किमी झरवाणी (गजानन आश्रम सेगांव अन्न क्षेत्र), १२ किमी गोरा (पुराना शूलपाणेश्वर मंदिर हरि धाम आश्रम) १३ किमी रामानन्द आश्रम मांगरोल, ५ किमी सेहराव, ३ किमी ओठलिया, ६ किमी रूड चौकड़ी, ( ३ किमी भीतर पोयचा नीलकंठ धाम स्वामिनारायण) १ किमी रूड गांव जलाराम आश्रम व्यवस्था, ८ शुकदेव व्यास पीठ, ५ किमी ओरी, २ किमी कोटेश्वर अन्न क्षेत्र, ४ किमी सिसोदरा, ४ किमी कार्तिक आश्रम कांदरोज, ३ किमी राजपरा, ३ किमी मिनवारा, ३ किमी वराछा, २ किमी असा (दगड़ू बाबा आश्रम), ३ किमी पाणेथा, ४ किमी वेलुगाम, २ किमी माताजी आश्रम अन्न क्षेत्र, ४ किमी गुप्त गोदावरी, २ किमी शुक्रेश्वर महादेव, ३ किमी मणिनागेश्वर, ३ किमी भालोद, ३ किमी प्राकड़, ७ किमी आविधा, ५ किमी लाडवा मंदिर अन्न क्षेत्र, ३ जगदीश मढ़ी, ८ किमी उचेड़िया, ५ किमी गुवाली, ३ किमी मांडवा, ३ किमी रोकड़िया हनुमान, १० किमी रामकुंड अंकलेश्वर, १० किमी बलबलाकुंड, ११ किमी हाँसोट सूर्य कुंड, १० किमी हनुमान टेकरी अन्न क्षेत्र, वमलेश्वर नाव द्वारा समुद्र पार (खुशाल भाई पटेल सरपंच) यहाँ दक्षिण तट समाप्त!

समुद्र से अमरकंटक की ओर उत्तर तट

मीठी तलाई ३ किमी अम्बेठा, १० किमी सुवा आश्रम, ५ किमी कोलियाद, ७ भेसली, ८ किमी नवेठा (अवधूत आश्रम), ४ किमी भाड़भूतेश्वर (केवट आश्रम), ३ टीवी ४ दसाण, ३ बरवाड़ा ४ कुकरवाड़ा ४ भरुच (नीलकंठ आश्रम) झाड़ेश्वर, १३ मांगरोल (शशि बेन आश्रम) २ दत्त मढ़ी, ४ अंगारेश्वर, २ धर्म शीला, ३ झणोर, ३ नांद कबीर आश्रम, ४ सोमज ढेलवाड़ा, ३ ओज, ६ मोटी कोरल ५ नारेश्वर (रंगअवधूत धाम) २ सायर, ३ कहोणा, १५ वालेश्वर, २ हरिओम आश्रम, २ सुराश्या माल, ५ शिनोर, ७ अनुसुइया आश्रम, ३ मोलेठा, ५ गुप्तेश्वर आश्रम, ४ चांदोद, ४ कुबेर भंडारी करनाळी, १४ तिलकवाड़ा, १२ गरूड़ेश्वर, ५ गभाणा ७ झरिया, (केवडिया सरदार सरोवर स्टेच्यू ऑफ यूनिटी) ९ छोटी अम्बाजी, १२ बोरीयाद, ४ वगाच, १० रेवड़िया आश्रम, १४ कवाँट, (म. प्र.) १४ छकतला, से ३३ किमी बेहड़ा हनुमान मंदिर (बीच में आने वाले गांव क्रमशः अजपाई, आमला, अक्कलतरा, कोसारिया, अट्ठा, पीपरी, बेहड़ा) ११ कुलवट, ४ कवड़ा हनुमान आश्रम, १३ डही, ४ अतरसुमा, ६ बड़वान्या, ४ पड़ियाल, ६ सुसारी से कुक्षी बायपास होते ११ अम्बाड़ा, ४ धुलसर अन्नक्षेत्र, ३ लोहारी ७ सिंघाना शिव मंदिर, ६ बोरूद, ४ देदला ६ मनावर बंकनाथ मंदिर, टोकी, भानपुरा, छनोरा, उमरबन (कुल दूरी २३)व्यवस्था, ९ सुराणी, १० नीलकंठेश्वर (माण्डव) ५ रेवा कंड ७ किमी बगवान्या (नर्मदा आश्रम) १२ धामनोद, ९ खराड़ी, ५ महेश्वर घाट, (मण्डलेश्वर) १२ धरगाँव २२ बंजारी बड़दिया अन्नक्षेत्र, १० बड़वाह, ८ सुलगाँव, जंगलमार्ग ९ कुंडी, ३ वड़ेल, ३ मेहंदी खेड़ा, ६ तराण्या, ९ पीपरी वाल्मीकि आश्रम, ४ रतनपुर, ४ बावड़ीखेड़ा, ७ जयंतीमाता झरना, जंगलमार्ग में २३ पामाखेड़ी, १२ धर्मेश्वर आश्रम, ४ बाई जगवाड़ा,५ नामनपुर ५ टिपरास, ४ मिरजापुर इमलीघाट, २ तमखाणा २ सिराल्या, ९ डावठा (जगदीश भाई अन्नक्षेत्र) ९ नेमावर दादूदयाल आश्रम, कुड़गांव, तुरनाल, तन्यागांव, तीतरी, करोड़, बीजलगांव नर्मदा मंदिर तक कुल दूरी १६ किमी, पीपलनेरिया, छीपानेर, रानीपुरा, चावस्या खेड़ी, सातदेव तक कुल दूरी १२ किमी, सीलकंठ, नीलकंठ, चनेठी, मंजली (व्यवस्था), खलगांव, बावरी, जोजवा, मट्ठागांव, ठप्पर, नेहलाई, रेवगांव तक कुल दूरी २९ किमी, ४ मरदानपुरा, ४ आवलीघाट, ९ तालपुरा, १० होलीपुरा, ३ सततुमड़ी, २ नीनोर, १२ पीली कटार, ५ बुधनी (आश्रम) ११ बान्दरा भान, १ जहाजपुर, ५ शाहगंज चीचली (आश्रम),५ बनेठा, ५ सुपाड़िया, २ हथनोर डोबी, ३ सरदार नगर, ३ जैत २ नारायण पुरा, ३ नांदनेर, ३ सुमनखेड़ा आश्रम, ६ भारकच्छ, २ गडरवास, ७ सनखेड़ा, १५ बगलखेड़ा (वानखेड़ी आश्रम) ४ सत्रावन ५ डूमर १० मांगरोल, ८ बरहा (सीताराम आश्रम) २ सुभाली, ४ केतुधान (शनि आश्रम) ३ मोहलखेड़ा, ९ बोरास (अन्नक्षेत्र) १३ अंघोरा स्वामी समर्थ आश्रम) ४ पतई़घाट, ३ शुक्लेश्वर, २ रिछावर, ७ टिमरावन, ६ हीरापुर, ६ करोंदी, ५ कतई, २ बेलथारी, ३ सीमरिया, २ झीरवी, ४ छतरपुर, २ खेड़ी खुर्द, १२ बरमान घाट आश्रम, २ मीढली, ५ हीरणपुर, ५ गुरसी, ५ रामपुरा आश्रम, ४ केरपाणी, ५ पथोरा, २ बारूखेडा, ४ मुरगाखेड़ा, ३ डोंगरगांव, १२ धुमखेड़ा आश्रम, ३ जोगीपुरा, ३ पावला, २ बरखेड़ी, ४ वरवठी, ५ खुणा, १४ सर्रा आश्रम, २ कुसली, ८ नीमखेड़ा, २ झांसीघाट, ८ शाहपरा, ४ शीतलपुर, २ जल्हेरीघाट, ४ सिद्धघाट, ४ पीपरिया रामघाट गोवत्स आश्रम, ८ भेड़ाघाट, ४ गोपालपुरा, २ लम्हेटा सरस्वती घाट, १२ ग्वारीघाट, २ कालीआश्रम, १० बरेला (आरबीएस पेट्रोल पंप पर व्यवस्था) ८ अमरकंटक फाटा ७ धनपुरी आश्रम, १० मनेरी माता आश्रम, २ गोरामबाबा चौसठ योगिनी मंदिर, १२ बंजारी माता, ३ हाथीतारा, २ गुदलई अन्नक्षेत्र, ४ भीखमपुर, ३ बिझौली, ३ विसौरा, ३ मानिकपुर आश्रम, ५ बिछिया, ३ कटंगी, ३ बजरंगकुटी, भदवाड़ा घाट शहपुरा (व्यवस्था), १ करोंदी, ६ शहपरा, ७ उत्कृष्ट काशी धर्मशाला वरगांव, ४ अमठेड़ा, ३ बरझड़, ४ अमेठा, ३ डोंगरिया (चौबे धर्मशाला) ७ आनाखेड़ा आश्रम, ५ विक्रमपुर, ९ गणेश पुरी(अजय साल) ५ शाहपुरा ९ जोगीटिकरिया, १२ रामघाट आश्रम, ४ रूसी माल, ५ दूधीघाट, ९ टेड़ी संगम चंदन घाट, ३ लालपुर, ३ बसंत पुर, ४ कंचनपुर आश्रम, २ शिवाला घाट, ५ ठाड़ पत्थर, ४ देवरी, ४ दमहेड़ी, ५ सलबारी, हेमसिंह मरावी सेवादार, ३ बिलासपुर, ५ पढरिया, ५ मोहदी (हरिशंकर पँवार घर सेवा), ७ हर्रईटोला, ५ खेड़ी सेमल, ५ दमगड़, ५ कपिलधारा, ५ रामकृष्ण कुटीर, ३ अमरकंटक (मृत्युंजय आश्रम) उत्तर तट समाप्त!

अमरकंटक (दक्षिण तट प्रारंभ) 
२ किमी माई की बगिया (उद्गम स्थल) १ किमी सोनमूढ़ा १ रेवा कुंड, ५ कबीर चबूतरा ८ किमी जगतपुर, ८ करंजिया आश्रम, ४ राम नगर, ३ अमलडीहा, ५ रूसा, ८ गोरखपुर, ९ मोहतरा आश्रम, ६ गाढ़ा सराई, ३ सागरटोला, ५ बोंदरगांव, २ सुनिया महर ५ खर गहना, ४ कुंडा हनुमान मंदिर, ९ किमी डिंडोरी रामआश्रम, २८ किमी राई, ७ हर्रा, १३ चावी व्यवस्था, ४ डेडिया, १ खाले ठिठोरी, ८ मोहगांव, १५ देवगांव बूढ़ी नदी संगम, ५ बिलगांव हनुमान मंदिर, ११ रामनगर, ९ मधुपुरी, २ घुघरा (नहर मार्ग से सूर्य कुंड), २ महाराजपुर, सड़कमार्ग ४ किमी अग्रवाल क्रशर व्यवस्था, २० बख्शी, ३ मसूर थावरी, २ भिलाई, ५ मोहगांव, ८ पहाड़ी गांव, ७ धनसोर, ५ बालपुर, ४ मेहताराय, ३ दरोड़कला, ३ कहानी, ३ मलखेड़ा, ४ सहसना, ५ सिहोरा, २ बुधवानी, ७ लखनादौन (सौरभ तिवारी व्यवस्था) १३ हनुमान मंदिर पिपरिया, ६ परासिया बंजारी माता, ५ मोराबीबी, (फारेस्ट डीपो) ३ मूंगवानी, ५ देवनगर, ४ बकोरी, ७ बचई, १६ नरसिंहगढ़, १६ करेली, ४ गढ़ेसरा, २ बनेसू, ८ करपगांव, १० बरहासू, १६ गडरवाड़ा, ४ कामली शनि मंदिर, २१ मालनवाड़ा, १० बनखेड़ी, २ वाचावानी, १७ पिपरिया, ४ हनुमान मंदिर ६ शोभापुर, १० करनपुर आश्रम, ४ सोहागपुर, १६ गुराड़ी, ११ बाबई, २२ होशंगाबाद नागेश्वर मंदिर व्यवस्था, ५ डोंगरवाड़ा, 
५ रंडाल, ९ पोकसर, ३ खरखेड़ी घाट, १२ आवलीघाट, १७ बावरी, १२ भिलाड़िया घाट, ५ हमीरपुरा, १० गोरागांव, ५ तजपुरा, ३ हनुमान मंदिर, ३ करताना, ६ गोंदागांव, ४ सनखेड़ी, ९ हरदा, ९ मक्खनभोग, ४ मसनगांव, ३ काकरिया, ५ मादला, ३ मुहालकला, ७ पीपरवड़, ४ पोखरनी, ९ दगड़खेड़ी, ९ धारखेड़ी, १६ छनेरा, ६ चारूखेड़ा (२ किमी भीतर मनरंगगिरी समाधि), ५ साडला, ५ माडला, ३ करोली, ५ सोम गांव, ५ सिंगाजी, २ किमी भीतर सिंगाजी समाधि, ६ बीड़, ५ मूंदी, ६ भमोरी, ६ जलवा बुजुर्ग, ५ देवला खुटला, ९ अटूट खास, १० हाथियाबाबा आश्रम, नहर मार्ग से १७ किमी ओंकारेश्वर 
परिक्रमा पूर्ण । 
नर्मदे हर । हर हर महादेव।
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